Wednesday, June 17, 2020

Surya namaskar in hindi सूर्य नमस्कार

Surya namaskar in hindi

सूर्य नमस्कार 

सूर्य नमस्कार मूल योग प्रथाओं में से एक है  यह योग की दुनिया में बहुत महत्व रखता है। यह आपके पूरे शरीर को उत्तेजित करता है और सूर्य के प्रति कृतज्ञता की प्रार्थना है। इसके अलावा, यह उन लोगों के लिए एकदम सही है जो कम समय में एक गहन कसरत करना चाहते हैं। यदि आप इस योग अनुक्रम के 12 आसन या योग मुद्राएँ पूरी करते हैं, तो यह आपके लिए 288 शक्तिशाली योग आसन करने के बराबर है।

 

इस गाइड में, हम सूर्य नमस्कार के विभिन्न पहलुओं को तोड़ेंगे। नतीजतन, आप इस आसन के बारे में सभी आवश्यक जानकारी प्राप्त करेंगे जैसे कि इसके लाभ, इसे कैसे करें, इसे अभ्यास करने का सबसे अच्छा समय, और कई अन्य चीजें।

 

              सूर्य नमस्कार क्या है?surya namaskar kya hai?

संस्कृत में, सूर्य सूर्य को संदर्भित करता है जबकि नमस्कार का अर्थ नमस्कार करना या अभिवादन करना है। इस प्रकार अंग्रेजी में, सूर्य नमस्कार को (sun salutation) भी कहा जाता है। आसन के पारंपरिक रूपों के अनुसार, प्रत्येक 12 आसन मंत्र या मंत्र के साथ होते हैं। मंत्र 12 राशियों का प्रतिनिधित्व करते हैं और शरीर को ऊर्जा की आपूर्ति करते हैं।

 

सूर्य नमस्कार की उत्पत्ति को लेकर बहुत विरोधाभास है। कुछ चिकित्सकों का कहना है कि यह वैदिक काल में 2500 साल पहले बनाया गया था, जिसके दौरान यह एक अनुष्ठान के रूप में किया गया था, जिसमें उगते हुए सूरज की ओर झुकाव, मंत्रों का जाप, चावल और जल अर्पित करना शामिल था। दूसरों ने कहा कि यह एक अपेक्षाकृत आधुनिक तकनीक है जिसे 20 वीं शताब्दी में औंध के राजा द्वारा विकसित किया गया था।

प्रत्येक योग व्यवसायी सबसे पहले सूर्य नमस्कार से शुरू होता है। जैसा कि श्री के।  "कोई भी आसन अभ्यास सूर्य की पूजा के बिना पूरा नहीं होता है। मानसिक ऊर्जाओं पर ध्यान केंद्रित किए बिना, योग अभ्यास जिमनास्टिक की तुलना में थोड़ा अधिक है और, जैसे कि अर्थ खो देता है और फलहीन साबित होता है। वास्तव में सूर्य नमस्कार को कभी भी केवल शारीरिक व्यायाम के लिए नहीं किया जाना चाहिए - कुछ आकस्मिक के लिए, जो कि योग के आसनों से पहले है।

 

सूर्य नमस्कार करने से कई स्वास्थ्य लाभ मिलते हैं। यह आपके शरीर और दिमाग से तनाव को कम करता है, परिसंचरण में सुधार करता है, आपके श्वास को नियंत्रित करता है और आपके केंद्रीय तंत्रिका तंत्र को उत्तेजित करता है। प्राचीन योगियों के अनुसार, यह आसन मणिपुर (सौर जाल) चक्र को भी सक्रिय करता है, जो नाभि क्षेत्र में स्थित है और इसे दूसरा मस्तिष्क कहा जाता है। इससे व्यक्ति की रचनात्मक और सहज क्षमता बढ़ती है।

 

सूर्य नमस्कार में प्रत्येक आसन मांसपेशियों के लचीलेपन को बढ़ाता है और आपके शरीर के एक अलग हिस्से को भी संलग्न करता है। परिणामस्वरूप, अधिक शक्तिशाली और जटिल आसनों का अभ्यास करने के लिए आपका शरीर गर्म हो जाता है। सूर्य नमस्कार का अभ्यास करने से आपको आध्यात्मिक ज्ञान और ज्ञान प्राप्त करने में भी मदद मिलती है। यह एक व्यक्ति के दिमाग को शांत करता है और एक को स्पष्ट रूप से सोचने में सक्षम बनाता है।

सूर्य नमस्कार (सूर्य नमस्कार) का अभ्यास करने का सर्वोत्तम समय

यह अनुशंसा की जाती है कि आप सुबह जल्दी सूर्य नमस्कार करें। हालांकि, यदि आप समय के लिए दबाए जाते हैं, तो आप इसे शाम को भी कर सकते हैं। लेकिन अपनी योग दिनचर्या शुरू करने से पहले, सुनिश्चित करें कि आपका पेट खाली है।

 

सुबह सूर्य नमस्कार का अभ्यास आपके शरीर को फिर से जीवंत करता है और आपके दिमाग को तरोताजा करता है। यह आपको अधिक सक्रिय बनाता है और आपके शरीर को उत्साह के साथ रोजमर्रा के कार्यों को करने के लिए तैयार करता है। सुबह-सुबह इस योग क्रम को करने का एक और लाभ यह है कि इस समय के दौरान, पराबैंगनी किरणें बहुत कठोर नहीं होती हैं। नतीजतन, आपकी त्वचा धूप में नहीं निकलती है और आप इस आसन के लाभों का अच्छी तरह से आनंद ले सकते हैं।

 

यदि आप सुबह सूर्य नमस्कार करने में रुचि रखते हैं, तो आपको पहले शाम को इसका अभ्यास करना चाहिए। इसके पीछे कारण यह है कि शाम के दौरान, हमारे जोड़ लचीले होते हैं और शरीर की मांसपेशियां अधिक सक्रिय होती हैं, जिससे विभिन्न पोज़ का अभ्यास करना आसान हो जाता है। यदि आप कठोर शरीर के साथ सूर्य नमस्कार का अभ्यास करते हैं, तो इससे गंभीर परिणाम हो सकते हैं। एक बार जब आप सभी 12 चरणों के आदी हो जाते हैं, तो आप सुबह अपनी योग दिनचर्या का संचालन कर सकते हैं।

 

जब बाहर किया जाता है, तो यह योग अनुक्रम आपको बाहरी वातावरण के साथ एक गहरा संबंध बनाने में सक्षम करेगा। हालाँकि, आपके पास इसे घर के अंदर करने का विकल्प भी है, लेकिन यह सुनिश्चित करें कि कमरा पर्याप्त रूप से हवादार हो।

 

यहां शुरुआती लोगों के लिए सलाह का एक और टुकड़ा है। वैकल्पिक दिनों में सूर्य नमस्कार के दो चक्कर लगाकर शुरुआत करें। उसके बाद धीरे-धीरे हर दिन दो राउंड में शिफ्ट करें और अंत में अपने सेट को बढ़ाएं जब तक कि आप हर दिन 12 राउंड न कर सकें। ध्यान रखें कि जल्दी से अपने राउंड को बढ़ाने से आपके शरीर पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।

सूर्य नमस्कार कैसे किया जाता है (12 Poses Name and Information):

Surya namaskar in hindi सूर्य नमस्कार


 


1 प्रार्थना मुद्रा / प्रणामासन -

 इस मुद्रा में पैर के पंजो को मिलाकर पूर्व दिशा की और खड़े हो जाएं। और पूरे शरीर को ढीला छोड़ दे और आगे  के अभ्यास  के लिए तैयार रहे। 

उच्चारण : ॐ मित्राय नमः

अर्थ:  हे संसार के मित्र सूर्य आपको नमस्कार। 


श्वासक्रम- श्वासक्रम सामान्य रखे ।


लाभ- प्रार्थना मुद्रा हमें एकाग्रता एंव शांति प्रदान करता है


2 हस्ता उत्तानासन (उठा हुआ मुद्रा)-

सुनिश्चित करें कि आपकी हथेलियाँ एक साथ जुडी हुई हैं। फिर अपनी बाहों को उठाएं और थोड़ा पीछे की ओर झुकें। और कंधो की चौड़ाई के बराबर दोनों भुजाओं की दूरी रखे । आपका बाइसेप्स आपके कानों के पास रहना चाहिए।


उच्चारण: ॐ रवये नमः।

अर्थ: जो प्रकाशमान और सदा उज्जवलित है।


श्वासक्रम- भुजाओं को ऊपर उठाते समय साँस ले ।


लाभ - पेट की चर्बी को हटाता है ।


3 हस्त पादासना (आगे की ओर झुकते हुए मुद्रा)-

सामने की तरफ झुकते हुए दोनों हाथो के पंजो को पैरो के बगल में से धरती को स्पर्श करते हुए रखे। अपने माथे को घुटनो से स्पर्श कराये । और अपने घुटनो को सीधा रखे ।हालांकि शुरुआत में ये काफी मुश्किल होगा ।  लेकिन अभ्यास के साथ ये संभव है ।


उच्चारण: ॐ सूर्याय नम:।

अर्थ: अंधकार को मिटाने वाला व जो जीवन को गतिशील बनाता है।



श्वासक्रम- सामने की तरफ झुकते हुए सांस छोड़े


लाभ - कब्ज़ को ख़त्म करता है । शरीर को लचीला बनाता है । रक्त संचार को बढ़ाता है।


4 अश्व संचालनासन 

अपने घुटनों को थोड़ा मोड़ें, ताकि हथेलियां आपके पैरों के बगल में फर्श पर आराम कर सकें। एक गहरी सांस लें, अपने दाहिने घुटने को अपनी छाती के दाईं ओर लाएं और अपने बाएं पैर को पीछे की ओर खींचें। अपने सिर को उठाएं और आगे देखें।


उच्चारण: ॐ भानवे नमः।

अर्थ: जो सदैव प्रकाशमान है। हे प्रकाश पुंज आपको नमस्कार। 


श्वासक्रम- बाएँ पैर को पीछे ले जाते समय सांस छोड़े । 


लाभ - पाचन-तंत्र सुचारु रूप से काम करता है ।


5 पर्वतासन-

इस आसन में दाएँ पैर के पंजे को सीधा करके बाएँ पंजे के पास ले जाये । अब नितंबो को जितना हो सके उतना ऊपर की तरफ उठाये और अपने सिर को को दोनों बाजुओं के बीच में लाएँ और अपनी एड़ियाँ को जमीन से ऊपर न उठाये


उच्चारण: ॐ खगाय नमः।

अर्थ: वह जो सर्वव्यापी है और आकाश में घूमता रहता है।हे आकाश में घूमने वाले गति देव आपको नमस्कार। 

 

श्वासकर्म - दाएँ पैर को वपिस लाते समय एवं नितंबो को ऊपर उठाते समय साँस छोड़े ।


लाभ - इस आसन को करते समय रक्त संचार बढ़ता है ।  सिर आगे की तरफ झुकने के कारण यह आँखों की रोशनी बढ़ाता है और बालों का झड़ना रोकता है ।

 

6 अष्टांग नमस्कार -

घुटने मोड़ते हुए शरीर को जमीन की तरफ इस प्रकार से झुकाये अपनी ठोड़ी को फर्श पर टिकाएं और अपने कूल्हों को हवा में लटकाए रखें। यदि सही ढंग से किया जाता है, तो आपके दोनों हाथ, घुटने, ठोड़ी और छाती जमीन पर आराम करेंगे, जबकि आपके कूल्हे हवा में निलंबित रहेंगे।


उच्चारण: ॐ पूष्णे  नमः।

अर्थ: हे संसार के पोषक आपको नमस्कार। 


श्वासकर्म - सांस को रोककर रखे ।


लाभ - छाती और फेफड़ो को शक्ति देता है । पैरों और हाथो की मांसपेशियों मजबूती देता है ।


7 भुजंगासन (कोबरा पोज़)-

इस आसन में शरीर के अगले हिस्से- सिर ,छाती और कमर को ऊपर उठाते हुए सिर और गर्दन को पीछे की तरफ झुकाएँ।


उच्चारण: ॐ हिरण्यगर्भाय नमः।

अर्थ: जिसका स्वर्ण के भांति प्रतिभा है। 


श्वासकर्म - छाती और सिर  को ऊपर उठाते समय सांस ले ।


लाभ - पाचनतंत्र को सही करता है । दमा, सरवाइकल, स्लिप डिस्क रोगियों के लिए लाभकारी है ।


8 पर्वतासन-

यह स्थिति 5 की ही पुनरावृति है । शरीर के नितंब वाले भाग को ऊपर उठाते हुए पैरों के पंजो की जमीन पर स्थापित करे । इस पोज़ में जितना हो सके अपने नितंबो और कमर को उतना ऊपर उठाये । पैर आपस में मिले हुए हो ।


उच्चारण: ॐ मरीचये नमः।

अर्थ: वह जो अनेक किरणों द्वारा प्रकाश देता है। हे किरणों के स्वामी आपको नमस्कार। 


श्वासकर्म -नितंबो को ऊपर उठाते समय सांस छोड़े ।


लाभ - मांसपेशियो को ऊर्जा प्रदान करता है ।


9 अश्व संचलानासन-

यह स्तिथि  क्रमांक 4 की ही पुनरावृति है । उस स्तिथि में हमारा बायाँ पैर पीछे जाता था। इस में हमारा दायाँ पैर पीछे जायेगा ।

बांयें पंजे को दोनो हाथों के बीच में रखें । दाहिने पैर को पीछे की तरफ खींचे याद रहे हमारा घुटना जमीन से स्पर्श करता रहे । अपनी भुजाये सीधी रखे ।


उच्चारण: ॐ आदित्याय नम:।

अर्थ: हे संसार के रक्षक आपको नमस्कार। 


श्वासकर्म - बाएँ पैर को आगे ले जाते समय सांस ले ।


लाभ - हमारे पाचन तंत्र के रक्त संचार को बढ़ाता है। पाचन तंत्र को सुचारू रूप से काम करने मैं सक्षम बनता है। 


10 हस्त पादासन 

दोनों हाथो पर भार  डालते हुए आगे की तरफ झुके दांये पैर के पंजो को बांये पैर के पंजे के समकक्ष स्थापित करे। दोनों पैरोंको सीधा करे। अपने माथे को घुटनो से स्पर्श कराए। इस स्थिति में पैर के पंजो और हाथ के पंजो एक सीध में रहेंगे। 


उच्चारण: ॐ सवित्रे नमः।

अर्थ: इस संसार को उत्पन्न देने वाले आपको नमस्कार। 


श्वासकर्म- सामने की तरफ झुकते हुए अधिक से अधिक स्वास बाहर छोड़। 


लाभ - पेट की चर्बी काम करता है। रक्त संचार को बढ़ाता है।  कब्ज़ की समस्या को ख़तम करता है। 


11 हस्ता उत्तानासन (उठा हुआ मुद्रा)-

सुनिश्चित करें कि आपकी हथेलियाँ एक साथ जुडी हुई हैं। फिर अपनी बाहों को उठाएं और थोड़ा पीछे की ओर झुकें। और कंधो की चौड़ाई के बराबर दोनों भुजाओं की दूरी रखे । आपका बाइसेप्स आपके कानों के पास रहना चाहिए।


उच्चारण: ॐ अर्काय नमः।

अर्थ: हे पवित्रता को देने वाले आपको नमस्कार। 


श्वासक्रम- भुजाओं को ऊपर उठाते समय साँस ले ।


लाभ - पेट की चर्बी को हटाता है ।


12 प्रार्थना मुद्रा / प्रणामासन -

ऊपर उठे हुए हाथो को प्रार्थना मुंद्रा में पंजो को मिलाकर सीधे खड़े हो जाएँ। पूरे शरीर को ढीला छोड़ दे।


उच्चारण: ॐ भास्कराय नमः।

अर्थ: जो ज्ञान व ब्रह्माण्ड के प्रकाश को प्रदान करने वाला है।

 

श्वासक्रम-श्वासक्रम सामान्य रखे ।


लाभ- प्रार्थना मुद्रा हमें एकाग्रता एंव शांति प्र्रदान करता है


12  आसनो का समूह यह सूर्य नमस्कार की आधी आवृति है। पूरी आवृति करने के लिए हमने आसन नंबर 4 और 9 में हमने जिस पैर को पीछे किया था। अब पूरी आवृति करने के लिए दूसरे पैर का इस्तेमाल करेंगे। जैसे हमने पहले दांया पैर पीछे किया था ,वैसे अब हम बांया पैर पीछे करेंगे। इस प्रकार हमारे कुल 24 आसन पूरे होंगे। सूर्य नमस्कार में कुल 24  आसनो की एक आवृति बनती है।   


सूर्य नमस्कार के लाभ :


  • शरीर की अकड़न को कम करता है बॉडी को लचीला बनता है।


  • मोटापे को कम करता है सूर्य नमस्कार करने से बॉडी की चर्बी धीरे धीरे कम होने लगती है। 

  • पाचन क्रिया में सुधर होता है  


  • सूरज के सामने सूर्य नमस्कार करने से हमें विटामिन डी मिलता है। जिसे हड्डियों मजबूत बनती है। 


  • सूर्य नमस्‍कार करते वक्‍त लंबी सांस भरनी चाहिये, जिससे शरीर रिलैक्‍स हो जाता है। इसे करने से बेचैनी और तनाव दूर होता है तथा दिमाग शांत होता है।


  • आज कल लोगो को अनिंद्रा की समस्या आम हो गई है। सूर्य नमस्कार करने से बॉडी रिलेक्स होती है जिससे रात को अच्छी नींद आती है। 


  • सूर्य नमस्कार करने से ब्लड सर्कुलेशन बढ़ता है। जिसे पूरे शरीर में दिन भर एनर्जी बानी रहती है । 


  • कई महिलाओ को अनियमित पीरियड की समस्या होती है। सूर्य नमस्कार नियमित करने से हार्मोन का बैलेंस बनता है जिससे पीरियड की समस्या ठीक हो जाती है। 


  • सूर्य नमस्कार से खून का दौरा बढ़ता है। जिससे चेहरे की झुर्रिया मिट जाती है त्वचा में निखार लाता है। 


  • सूर्य नमस्कार मन की एकाग्रता को बढ़ाता है। स्ट्रेस को दूर करता है।   

सूर्य नमस्कार के समय सावधानियां : 

8 वर्ष से ज्यादा आयु वाले सभी व्यक्ति इसे कर सकते है। मेरुदंड की समस्या ,हाई ब्लड प्रेशर , ह्रदय दोष व हर्निया या किसी और रोग से ग्रस्त व्यक्ति को गुरु की देख रेख में ही यह आसन करे। 


  • मासिक धर्म वाली महिलाओ को न करने की सलाह दी जाती है। 


  • सूर्य नमस्कार करने के तुरंत बाद स्नान नहीं करना चाहिए।  20 -30 मिनट रूककर ही स्नान करे। 


  • सूर्य नमस्कार के हर आसन को सही से करना चाहिए इस आसन को करते समय आपको पता होना चाहिए की कब सांस लेनी है कब नहीं। 


 




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